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कविता- बिजली कड़के कड़कने दो

बिजली कड़के कड़कने दो, बाजू फड़के फड़कने दो, राहों में कांटे ना बो, जो बोता है उसको धो, तूफान आ रहा है आने दो, कौवे को कड़कड़ाने दो...बिजली कड़के कड़कने दो, बाजू फड़के फड़कने दो, राहों में कांटे ना बो,...

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कविता- आनंद की सेज

आनंद की सेज पर कोई, दुखों का चिरहरण कर ले। सारे गम मेरी झोली मे दे, भारत में खुशियाँ भर दे। कूटनीति की सूपर्णखा मारे, राजनीति की सीता धर दे|...आनंद की सेज पर कोई, दुखों का चिरहरण कर ले। सारे गम मेरी...

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महज़ अलफाज़ से खिलवाड़ नहीं है कविता

महज़ अलफाज़ से खिलवाड़ नहीं है कविता, कोई पेशा ,कोई व्यवसाय नही है कविता। कविता शौक से भी लिखने का काम नहीं...महज़ अलफाज़ से खिलवाड़ नहीं है कविता, कोई पेशा ,कोई व्यवसाय नही है कविता। कविता शौक से भी...

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कविता- हंसी को मनाने दे जरा

बहते काजल को, पलकों से उठाने दे जरा, लबों से रूठी, हंसी को मनाने दे जरा, सदियों संवारा है, तुझे ख़्वाबों में अपने, तेरे ख़्वाबों में, घर अपना बनाने दे जरा...बहते काजल को, पलकों से उठाने दे जरा, लबों से...

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कविता- मैं रहूंगा...

बन के अरमान तेरे दिल में मैं रहूंगा, तेरी सांसों में समाकर हर पल में मैं रहूंगा, भूलकर भी भूलने की कोशिश न करना...बन के अरमान तेरे दिल में मैं रहूंगा, तेरी सांसों में समाकर हर पल में मैं रहूंगा, भूलकर...

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कविता- बिजली कड़के, कड़कने दो

बिजली कड़के कड़कने दो, बाजू फड़के फड़कने दो, राहों में कांटे ना बो, जो बोता है उसको धो दो...बिजली कड़के कड़कने दो, बाजू फड़के फड़कने दो, राहों में कांटे ना बो, जो बोता है उसको धो दो...

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झांकी घपलिस्तान की

आओ बच्चों तुम्हें दिखाएं झांकी घपलिस्तान की, इस मिट्टी पे सर पटको ये धरती है बेईमान की... बंदों में है दम...आओ बच्चों तुम्हें दिखाएं झांकी घपलिस्तान की, इस मिट्टी पे सर पटको ये धरती है बेईमान की......

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कविता-चलो उसके बिना जी कर देखते हैं

चलो उसके बिना जीकर देखते हैं, दुनिया ने दिया जहर पीकर देखते हैं...चलो उसके बिना जीकर देखते हैं, दुनिया ने दिया जहर पीकर देखते हैं...

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कविता - आदतन

जब पुरुष गुट बनाकर खेलते हैं पत्ते, स्त्रियाँ धूप में फैला देती हैं पापड, बड़ियाँ और...जब पुरुष गुट बनाकर खेलते हैं पत्ते, स्त्रियाँ धूप में फैला देती हैं पापड, बड़ियाँ और...

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जहां रहेगा वहीं रोशनी लुटाएगा: वसीम बरेलवी

वसीम बरेलवी 18 फरवरी 1940 को जन्में वसीम बरेलवी का मूल नाम जाहिद हसन वसीम है। उनकी मकबूलियत उनकी गजलों से है। उर्दू के इस शायर के नाम 'आंखों आंखों रहे', 'मौसम अंदर-बाहर के', 'मिजाज', 'मेरा क्या' सरीखे...

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